निगम तै अगम हरि कृपा न्यारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मारू


निगम तै अगम हरि कृपा न्यारी।
प्रीति बस स्याम है राव कै रक कोउ, पुरुष कै नारि नहि भेद कारी।।
प्रीति बस देवकीगर्भ लीन्हौ बास, प्रीति कै हेत ब्रज वेष कीन्हौ।
प्रीति कै हेतु जसुमति-पय-पान कियौ, प्रीति कै हेतु अवतार लीन्हौ।।
प्रीति कै हेतु बन धेनु चारत कान्ह, प्रीति कै हेतु नंदसुवन नामा।
प्रीति कै हेतु सूरज प्रभुहिं पाइयै, प्रीति कै हेतु दोउ स्याम स्यामा।।2017।।

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