नंद-घरनि ब्रज-बधू बुलाई। यह सुनिकै तुरतहिं सब आई।।
"कौन काज हम महरि हँकारी। तुम नहिं जानति जोबन भारी!"
बिहँसि कहति, "कह देति हौ गारी!" "सुरपति-पूजा करौ सँवारी’’!।।
"देखौ हम सब सुरति बिसारी।" "औरौ हमहि बूझियै गारी"।।
यह कहि हरषित भई नँद नारी। सखियनि बात कही सब प्यारी।।
सूर इंद्र-पूजा अनुसारी। तुरत करौ सब भोग सँवारी।।890।।