देखि री नंद कुल के उधारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


देखि री नंद कुल के उधारी।
मातु पितु दुरित उद्धरन, व्रज उद्धरन, धरनि उद्धरन सिर मुकुट धारी।।
पतित उद्धरन, निज भगत उद्धरन, जन दीन उद्धरन, कुडलनि धारी।
पूतना उद्धरन, दनुज कुल उद्धरन, तृना उद्धरन, मुख मुरलि धारी।।
सकट उद्धरन, केसी प्रलंब उद्धरन, वका उद्धरन, गिरि अँगुरि धारी।
अघा उद्धरन, गो ग्वाल के उद्धरन, वृषभ उद्धरन, वनमाला धारी।।
वच्छ उद्धरन, ब्रह्म उद्धरन, येइ प्रभु जज्ञपति जज्ञपतिनि उधारी।
कालि उद्धरन, फन फन सहित उद्धरन, दवा उद्धरन, अँग मलय धारी।।
ग्राह उद्धरन, गजराज उद्धरन, ये सिला उद्धरन, पट पीत धारी।
पंडुकुल उद्धरन, द्रौपदी उद्धरन, रुक्मिनी उद्धरन, लकुट धारी।।
सिंधु उद्धरन, सीताप्रिया उद्धरन, जै बिजै उद्धरन, धनुष धारी।
त्रास उद्धरन, प्रहलाद के उद्धरन, प्रबल नरसिंह अवतार धारी।।
हिरन कस्यप हिरन्याच्छ के उद्धरन, वेद उद्धरन, बल भुजा धारी।
धरम उद्धरन, येइ कर्म उद्धरन प्रभु, सुभग कटि काछनी पीत धारी।।
'सूर' उद्धरन, सुरलोक उद्धरन हरि, कस उद्धरन, येई मुरारी।।3081।।

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