तैं मेरैं हित कहति सही।
यह मोकौं सुधि भली दिवाई, तनु बिसरे मैं बहुत बही।।
जब तें दान लियौ हरि हमसौं, हँसि-हँसि कैं कछु बात कही।
काकौ घर, काकै पितु माता, काकौं तनु को सुरति रही।।
अब समुझति कछु तेरी बानी, आई हौं लै दही मही।
सुनहु सूर प्रातहिं तैं आई, यह कहि कहि जिय लाज गही।।1669।।