तुमकौं नंद महर मरुहाए।
मात-गर्भ नहिं तुम उपजे तौ, कहौ कहां तैं आए?।।
घर-घर माखन नहीं चुरायौ? ऊलख नहीं बँधाए?।
हा-हा करि जसुमति के आगैं, तुमकौं हमहिं छुड़ाए?।।
ग्वालनि संग-संग वृंदावन, तुम नहिं गाइ चराए?।
सूर स्याम दस मास गर्भ धरि, जननि नहीं तुम आए?।।1521।।