जा दिन तै गोपाल चले।
ता दिन तै ऊधौ या ब्रज के, सब स्वभाव बदले।।
घटे अहार बिहार हरष हित, सुख सोभा गुन गान।
ओज तेज सब रहित सकल विधि, आरति असम समान।।
बाढ़ी निसा, बलय आभूषन, उर कचुकी उसास।
नैननि जल अंजन अचल प्रति, आवन अवधि की आस।।
अब यह दसा प्रगट या तन कौ, कहियौ जाइ सुनाइ।
'सूरदास' प्रभु सो कीजौ जिहि, बेगि मिलहि अब आइ।।3674।।