जागे हौ जु राबरे -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सूही


जागे हौ जु राबरे ये नैना क्यौ न खोलौ।।
भए हौ तिया कै वस, जागे निसि सरबस, भोर भएँ उठि आए भूले कहा डोलौ।।
चंदन मिटाए तन, अतिही अलस मन, नागरी की पीक लीक लागी न कपोलौ।
पीतांबर भूलि आए, प्यारा जी कौ पट ल्याए, भोर भए उठे 'सूर' किये आए दौलौ।।2507।।

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