चढ़े जदुनंदन बनक बनाइ कै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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चढे जदुनंदन बनक बनाइ कै।
सजि बरात चले जादव चाइ कै।।
चले साजि बरात जादौ कोटि छापन अति बली।
उग्रसेन वसुदेव हलधर करत मन मन अति रली।।
संख भेरि निसान बाजे बजै बिबिध सुहावने।
भाट बोलै बिरद, बार बचन कहै मन भावने।।

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