कुँवरि रुकमिनी कमला औतरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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कुँवरि रुकमिनी कमला औतरी।
ससि सोडष कला सोभ तन धरी।।
कुँअरी ससि सोडष कला सृंगार करि ल्याईं अली।
वेद विधि कियौ ब्याह विधि, वसुदेव मन उपजी रली।।
पुहुप बरषहि हरप सुर गंधर्व किन्नर गावही।
सारदा नारद सुजस उच्चार जयति सुनावही।।

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