कान्ह कहाँ की बात चलावत।
स्वर्ग पताल एक करि राखौ, जुवतिनि कहा बतावत।।
जौ लायक तौ अपने घर कौ, वन-भीतर डरपावत।
कहा दान गोरस कौ ह्वैहै, सबै न लेहु दिखावत।।
रीती जान देहु घर हमकौं, इतनैं हीं सुख पावत।
सूर स्याम माखन दधि लीजै, जुवतिनि कत अरुझावत।।1523।।