एइ कहियत बसुदेव कुमार -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


एइ कहियत वसुदेव कुमार।
कंस त्रास मन मानि पठाए, कीन्हे नंद दुलार।।
प्रथम पूतना इनहि निपाती, काग मरत उठि भाज्यौ।
सकटा, तृना इनहिं सहारयौ, काली इनहिं निवाज्यौ।।
अघा, बका सहारन एई, असुर सँहारन आए।
'सूरज' प्रभु हित हेत भाव के, जसुमति बाल कहाए।।3044।।

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