ऊधौ जौ अब कान्ह न ऐहै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


ऊधौ जौ अब कान्ह न ऐहै।
जिय जानौ अरु हृदय विचारौ, हम अतिही दुख पैहै।।
पूछौ जाइ कौन की ढोटा, तब कह उत्तर दैहै।
खायौ खेल्यौ सग हमारै, ताको कहा बतैहै।।
गोकुल औ मथुरा के वासी, कहँ लौ झूठौ कैहै।
अब हम लिखि पठयौ चाहति है, ह्वाँऊ पत नहि पैहै।।
इनि गाइनि चरिबौ छाँड़यौ है, जौ नहि लाल चरैहैं।
एने पर नहि मिलत ‘सूर’ प्रभु, फिरि पाछै पछितैहै।।4087।।

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