आजु बन्यौ नव रंग पियारौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सुघराई


आजु बन्यौ नव रंग पियारौ। ब्रज बनिता मिलि क्यौं न निहारौ।।
लटपटी पाग महाउर पागी। कुँवरि मनावत अति बड़भागी।।
पीक कपोल अधर मसि लागे। आलसबलित सबै निसि जागे।।
कहुँ चंदन कहुँ बदन की छवि। रैनिरंग अँग अँग रह्यौ फबि।।
'सूर' स्याम की यह छवि देखो। जीवन जन्म सफल करि लेखो।।2645।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः