अपने नान्हहिं केरि दुहाई -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग सारंग





अपने नान्हहिं केरि दुहाई।
अबही तै यह स्याम ढुटौना उलटी करत है माई।।
बासन फोरि गठौना कीनो गोरस कीच मचाई।
हटकौ जसुदा नंदकुँअर कौ घर घर देखौ जाई।।
मानौ कुँअर कछू नहिं जानत बैठि रह्यौ अरगाई।
'सूरदास' बतिआ कहि दहौ जासौ हाहा खाई।। 19 ।।


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