तिहारे आगैं बहुत नच्‍यौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग नट





तिहारे आगैं बहुत नच्‍यौ।
निसि दिन दीन दयाल, देवमनि, बहु बिधि रूप रच्‍यौ।
कीन्‍हैं स्‍वाँग जिते जाने मैं, एकौ तो न बच्‍यौ।
सोधि सकल गुन काछि दिखायौ, अंतर हो जो सच्‍यौ।
जौ रीझत नहिं नाथ गुसाई, तौ कत जात जँच्‍यौ ?
इतनी कहो सूर पूरौं दै, काहैं मरत पच्‍यौ।।174।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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