हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 26-30

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विष्णोास्तुम माथुरे कल्पेय यत्र ते संशयो महान्।
वासुदेवगतिश्चैसव सा मया समुदाहृता।।26।।

आश्चदर्यं चैव नान्यमद् वै कृष्णश्चामश्चार्यसंनिधि:।
सर्वेष्वािश्च र्यकल्पेदषु नास्यास श्च र्यमवैष्णनवम्।।27।।

एष धन्योा हि धन्यामनां धन्य कृद् धन्य्भावन:।
देवेषु तु सदैत्येोषु नास्ति धन्य्तरोअच्युयतात्।।28।।

आदित्यात वसो रुद्रा अश्विनौ मरुतस्तयथा।
गगनं भूर्दिशश्चैसव सलिलं ज्योसतिरेव च।।29।।

एष धाता विधाता च संहर्ता चैव नित्य‍श:।
सत्यंत धर्मस्ततपश्चै व ब्रह्मा चैव पितामह:।।30।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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