हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 111 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 111 श्लोक 1-5

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जनमेय उवाच
भूय एव महाबाहो कृष्ण स्यछ जगतां पते:।
माहात्यंएव म श्रोतुमिच्छारमि परमं द्विजसत्ततम।।1।।

न हि मे तृप्तिरस्तीकह श्रृण्वततस्तास्यव धीमत:।
कर्मणामनुसंतानं पुराणस्यत महात्म‍न:।।2।।

वैशम्पानयन उवाच
नान्तप: शक्य‍: प्रभावस्यस वक्तुं वर्षशतैरपि।
गोविन्दनस्यच महाराज श्रूयतामिदमद्भुतम्।।3।।

शरतल्पेन शयानेन भीष्मेयण परिचोदित:।
गाण्डीेवधन्वान बीभत्सुणर्माहात्यंतम् केशवस्यै यत्।।4।।

राज्ञां मध्येी महाराज ज्येतष्ठंर भ्रातरमब्रवीत्।
युधिष्ठिरं जितामित्रमिति तच्छृजणु कौरव।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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