हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 67 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 67 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

नारायण: सत्यभामां पुनरेवैष भारत।
प्रोवाच प्रणयात् क्रुद्धामभिमानवतीं सतीम।।1।।

श्रीभगवानुवाच
दहतीव ममांगानि शोक: कमललोचने।
किमु तत् कारणं येन त्वचमेवमतिविक्लवा।।2।।

शापितासि मम प्राणैराचक्ष्वाणनन्योे यदि।
श्रोतव्यं यदि भक्ते‍न भर्त्रा सर्वांगशोभने।।3।।

तत: प्रोवाच भर्तारं सत्याे सत्यवव्रते स्थितम।
वाष्पवगद्गदया वाचा तथैवाधोमुखी स्थिता।।4।।

त्वयैव स्थापितं पूर्वं सौभाग्‍यं मम मानद।
जगत्यवमलपत्राक्ष यत् ख्याभतं केशिनाशन।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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