हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 21 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 21 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

प्रदोषार्द्धे कदाचित् तु कृष्‍णे रतिपरायणे।
त्रासयन् समदो गोष्‍ठमरिष्‍ट: प्रत्‍यदृश्‍यत।।1।।

निवार्णांगारमेघाभस्‍तीक्ष्‍णश्रृंगोअर्कलोचन:।
क्षुरतीक्ष्‍णाग्रचरण: काल: काल इवापर:।।2।।

लेलिहान: सनिष्‍पेषं जिह्वयोष्‍ठौ पुन: पुन:।
गर्विताविद्धलांगूल: कठिनस्‍कन्‍धबन्‍धन:।।3।।

ककुदोदग्रनिर्माण: प्रमाणद् दुरतिक्रम:।
शकृन्‍मूत्रोपलिप्‍तांगो गवामुद्वेजनो भृशम्।।4।।

महाकटि: स्‍थूलमुखो दृढजानुर्महोदर:।
विणावल्गितगतिर्लम्‍बता कण्‍ठचर्मणा।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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