हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 1-5

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जनमेजय उवाच
बहूनां स्त्री सहस्राणामष्टौ भार्या: प्रकीर्तिता:।
तासामपत्यासन्य्ष्टानां भगवान् प्रब्रवीतु मे।।1।।

वैशम्पायन उवाच
अष्टौप महिष्य: पुत्रिण्य इति प्राधान्यत: स्मृता:।
सर्वा वीरप्रजाश्चैव तास्व पत्याणनि मे श्रृणु।।2।।

रुक्मिणी सत्यभामा च देवी नाग्नतजिती तथा।
सुदत्ता च तथा शैब्याम लक्ष्मनणा चारुहासिनी।।3।।

मित्रविन्दार च कालिन्दी जाम्ब‍वत्याथ पौरवी।
सुभीमा च तथा माद्री रुक्मिणीतनयांछृणु।।4।।

प्रद्युम्न: प्रथमं जज्ञे शम्बरान्तकर: शुभ:।
द्वितीयश्चारुदेष्णिश्चज वृष्णिसिंहो महारथ:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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