हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 106 श्लोक 1-5

Prev.png

 
 
वैशम्पांयन उवाच
शम्बरस्तुव तत: क्रुद्ध: सूतमाह विशाम्पते।
शत्रुप्रमुखतो वीर रथं मे वाहय द्रुतम्।।1।।
यावदेनं शरैर्हन्मि मम विप्रियकारकम्।

ततो भर्तृवच: श्रुत्वा सूतस्तत्प्रियकारक:।।2।।
रथं संचोदयामास चामीकरविभूषितम्।
तं दृष्ट्वा रथमायान्तं प्रद्युम्न: फुल्लपलोचन:।।3।।

संदधे चापमादाय शरं कनकविभूषितम्।
तेनाहनत् सुसंक्रुद्ध: कोपयंशम्बरं रणे।।4।।

हृदये ताडितस्तेन देवशत्रु: सुविक्ल्व:।
रथशक्तिं समाश्रित्य तस्थौ् सोऽथ विचेतन:।।5।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः