हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 101 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 101 श्लोक 1-5

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श्रीकृष्ण उवाच

भवतां पुण्य कीर्तनां तपोबलसमाधिभि:।
अपध्यापनाच्च पापात्मा भौम: स नरको हत:।।1।।

मोक्षितं बन्धानाद् गुप्तं कन्या‍न्त: पुरमुत्तमम्।
मणिपर्वतमुत्पानट्य शिखरं चैतदाहृतम्।।2।।

अयं धनौघ: सुमहान् किंकरैगहृतो मम ।
ईशा भवन्तो द्रव्यस्य तानुक्वा विरराम ह।।3।।

तच्छ्रुत्वा् वासुदेवस्य भोजवृष्ण्यन्धका वच:।
जहृषुर्हृष्टछरोमाण: पूजयन्तोय जनार्दनम्।।4।।
ऊचुश्चैहनं नृवीरास्ते कृतांजलिपुटास्तभत:।

नैतच्चित्रं महाबाहो त्वसयिदेवकिनन्दुने।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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