हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 81 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 81 श्लोक 1-5

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उमोवाच

बान्धवान् सगुणानिच्छेदेकभक्ते्न नित्यपदा।
सप्तधमीं सप्तमीं नित्यं क्षपेत् स्त्री पतिदेवता।।1।।

तत: संवत्सरे पूर्णे वृक्षं दद्याद्धिरण्मभयम्।
सदक्षिणं ब्राह्मणाय शुभबन्धुसमती भवेत्।।2।।

करञ्जे दीपकं दद्यात् सदा या प्रमदा वरे।
पूर्णे संवत्सरे दद्यात् सौवर्णं दीपकं तत:।।3।।

रुच्या सा स्त्री भवेद् भर्तुरिष्टा पुत्रवती तथा।
सपत्नीनामधि तथा दीपवज्ज्वलते शुभे।।4।।

य शेषभोजिनी नित्यं नैव च स्यादरुन्तुलदा।
न च स्याद व्यशना सौम्येनित्यंशच पतिदेवता।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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