हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 68 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 68 श्लोक 1-5

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ततो जिगमिषुं तत्र नारदं मुनिसत्तमम्।
प्रोवाच भगवान् विष्‍णुरप्रमेयपराक्रम:।।1।।

महर्षे धर्मतत्त्वज्ञ स्‍वर्गं गत्‍वा त्‍वयानघ ।
दृष्‍ट्वा सदस्‍यान् देवस्‍य त्रिपुरघ्‍नस्‍य धीमत:।।2।।

अनाज्ञया मद्वचनाद् विज्ञाप्‍य: पाकशासन:।
सम्‍भावयित्‍वा भ्रातृत्‍वं पौराणं वेत्सि यन्‍मुने।।3।।

यमस्‍त्राक्षीन्‍मुनिश्रेष्‍ठो भगवान् कश्‍यपस्‍तरुम्।
पारिजातं पुरादित्‍या: सुखार्थं धर्मसत्‍तम:।।4।।

स पुण्‍यमतिसौभाग्‍यं ददाति तरुसत्‍तम:।
तव दत्‍तं पुरा दानं व्रतेन तरुमुत्‍तमम्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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