हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 102 श्लोक 1-5

Prev.png

 

नारद उवाच

सादिता मौरवा: पाशा निसुन्दनरकौ हतौ।
कृत: क्षेम्य: पुन: पन्था: पुरं प्राग्योयहतिषं प्रति।।1।।

शौरिणा पृथिवीपालास्त्रासिता: स्पर्द्धिनो रणे।
धनुषश्च निनादेन पांचजन्यतस्वनेन च।।2।।

मेघप्रख्यै रथानीकैर्दाक्षिणात्यै: सुरक्षितम्।
रुक्मिणं युधि निर्जित्य महाबलपराक्रमम्।
रुक्मिणीमाजहाराशु केशवो वृष्णिपुंगव:।।3।।

तत: पर्जन्यघोषेण रथेनादित्यवर्चसा।
उवाह महिषीं भोज्यां शंखचक्रगदासिभृत्।।4।।

जारूथ्याषमाह्वृति: क्राथ: शिशुपालश्चर निर्जित:।
वक्रश्च सह सैन्ये न शतधन्वाथ निर्जित:।।5।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः