हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 52 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 52 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

तत: प्रयाते वसुदेवपुत्रे
नराधिपा: भूषणभूषितांगा:।
सभां समाजग्मु : सुरेन्द्रकल्पा:
प्रबोधनार्थं गमनोत्समवास्तेे।।1।।

सभागतान् सोमरविप्रकाशान्
सुखोपविष्टांन् रुचिरासनेषु।
समीक्ष्य् राजा सुनयार्थवादी
जगाद वाक्यं नरराजसिंह:।।2।।

स्वदयंवरकृतं दोषं विदित्वा वो नराधिपा:।
क्षन्तव्यो मम वृद्धस्य दुर्दग्धस्य फलोदयम्।।3।।
वैशम्पायन उवाच
एवमाभाष्या तान् सर्वान् सत्कृसत्य च यथाविधि।
ततो विसर्जयामास नृपांस्ता्न् मध्यादेशजान्।।4।।

पूर्वपश्चिमजांश्चैपव उत्ततरापथिकानपि।
येऽपि सर्वे महेष्वासा: प्रहृष्टनमनसो नरा:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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