हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 44 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 44 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

तानागतान् विदित्वावथ श्रृगालो युद्धदुर्मद:।
पुरस्य धर्षणं मत्वा निर्जगामेन्द्राविक्रम:।।1।।

रथेनादित्यवर्णेन भास्वता रणगामिना।
आयुधप्रतिपूर्णेन नेमिनिर्घोषहासिना।।2।।

मन्दराचलकल्पेिन चित्राभरणभूषिणा।
अक्षय्यसायकैस्तूपणै: पूर्णेनार्णवघोषिणा।।3।।

हर्यश्वेयनाशुगतिनासक्तेचन शिखरेष्वरपि।
हेमकूबरगर्भेण दृढाक्षेणातिशोभिना।।4।।

सुबन्धुगरेण दीप्तेन पतत्त्रिवरगामिना।
खगतेनेव शक्रस्य हर्यश्वेन रथाद्रिणा।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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