हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 10 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 10 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

तौ तु वृन्‍दावनं प्राप्‍तौ वसुदेवसुतावुभौ।
चेरतुर्वत्‍सयूथानि चारयन्‍तौ सुरूपिणौ।।1।।

पूर्णस्‍तु घर्मसमयस्‍तयोस्‍तत्र वने सुखम्।
क्रीडतो: सह गोपालैर्यमुनां चावगाहतो:।।2।।

तत: प्रावृडनुप्राप्‍ता मनस: कामदीपिनी।
प्रववर्षुर्महामेघा: शक्रचापांकितोदरा:।।3।।

बभूवादर्शन: सूर्यो भूमिश्‍चादर्शना तृणै:।
पतता मेघवातेन नवतोयानुकर्षिणा।।4।।

सम्‍मर्जिततला भूमिर्यौवनस्‍थेव लक्ष्‍यते।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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