हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 19 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 19 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

धृतं गोवर्धनं दृष्‍ट्वा परित्रातं च गोकुलम्।
कृष्‍णस्‍य दर्शनं शक्रो रोचयामास विस्मित:।।1।।

स निर्जलाम्‍बुदाकारं मत्तं मदजलोक्षितम्।
आरुह्यैरावतं नागमाजगाम महीतलम्।।2।।

स ददर्शोपविष्‍टं वै गोवर्धनशिलातले।
कृष्‍णमक्लिष्‍टकर्माणं पुरुहूत: पुरंदर:।।3।।

वं वीक्ष्‍य बालं महता तेजसा दीप्‍तमव्‍ययम्।
गोपवेषधरं विष्‍णुं प्रीतिं लेभे पुरंदर:।।4।।

तं सोऽम्‍बुजदलश्‍यामं कृष्‍णं श्रीवत्‍सलक्षणम्।
पर्याप्‍तनयन: शक्र: सर्वैर्नेत्रैरुदैक्षत।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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