हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 23 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 23 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

क्षिप्‍तं यदुवृषं दृष्‍ट्वा सर्वे ते यदुपुंगवा:।
निपीड्य श्रवणान् हस्‍तैर्मेनिरे तं गतायुषम्।।1।।

अन्‍धकोऽनुद्विग्‍नमना धैर्यादविकृतं वच:।
प्रोवाच वदतां श्रेष्‍ठ: समाजे कंसमोजसा।।2।।

अश्‍लाघ्‍यो मे मत: पुत्र तवायं वाक्‍परिश्रम:।
अयुक्‍तो गर्हित: सद्भिर्बान्‍धवेषु विशेषत:।।3।।

अयादवो यदि भवांछृणु तावद् यदुच्‍यते।
न हि त्‍वां यादवं वीर बलात् कुर्वन्ति यादवा:।।4।।

अश्‍लाघ्‍या वृष्‍णय: पुत्र येषां त्‍वमनुशासिता।
इक्ष्‍वाकुवंशजो राजा विनिवृत्‍त: स्‍वयं सकृत्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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