हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 77 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 77 श्लोक 1-5

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जनमेजय उवाच
पुण्यकानां ममोत्पत्तिं कथयस्व द्विजोत्तिम।
द्वैपायनप्रसादेन सर्वं हि विदितं तव।।1।।

वैशपायन उवाच
उमया पुण्यकविधिर्नरेन्द्रोत्पादित: पुरा।
श्रृणु येन विधानेन लोकेधर्म वर।।2।।

स्वृर्गान्नीते पारिजाते कृष्णेनाक्लिष्ट कर्मणा।
ययौ द्वारवतीं धीमान् नारदो मुनिसत्तम:।।3।।

देवासुरे नृपश्रेष्ठ संग्रामे समुपस्थिते।
षट्पुरस्यन वधे घोरे महादेवाज्ञयानघ।।4।।

कृष्णेसन सहितं विप्रं नारदं धर्मवित्तमम्।
आसीनं परिपप्रच्छ रुक्मिणी भैष्मिकी नृप।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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