हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 45 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 45 श्लोक 1-5

Prev.png

 

वैशम्पायन उवाच
तौ तु स्वल्पेन कालेन दमघोषेण संगतौ।
अथाध्वसविधिना तौ तु पञ्चरात्रोषितौ पथि।।1।।

दमघोषेण संगम्य एकरात्रोषिताविव।
जग्मतु: सहितौ वीरौ मुदा परमया युतौ।
नगरीं मथुरां प्राप्तौ वसुदेवसुतावुभौ।।2।।

तत: प्रत्युकद्गता: सर्वे यादवा यदुनन्दनौ।
सबला हृष्टामनस उग्रसेनपुरोगमा:।।3।।

श्रेण्य: प्रकतयश्चैव मनित्रणश्च यथोचिता:।
सबालवृद्धा सा चैव पुरी समभिवर्तत।।4।।

नन्दितूर्याण्यवाद्यन्त् स्तूयेतां पुरुषर्षभौ।
रथ्यां पताकामालिन्यो भासन्ति स्मय समन्तत:।।5।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः