हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 4 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 4 श्लोक 1-5

Prev.png

वैशम्‍पायन उवाच
कृते गर्भविधाने तु देवकी देवतोपमा।
जग्राह सप्‍त तान् गर्भान् यथावत् समुदाह्रतान् ।।1।।

षड्गर्भान् निस्‍सृतान् कंसस्‍तांजघान शिलातले।
आपन्‍नं सप्‍तमें गर्भं सा निनायाथ रोहिणीम्।।2।।

अर्धरात्रे स्थितं गर्भं पातयन्‍ती रजस्‍वला।
निद्रया सहसाऽऽविष्‍टा पपात धरणीतले।।3।।

सा स्‍वप्‍नमिव तं दृष्‍ट्वा गर्भं नि:सृतमात्‍मन:।
अपश्‍यन्‍ती च तं गर्भं मुहूर्तं व्‍यथिताभवत्।।4।।

तामाह निद्रा संविग्‍नां नैशे तमसि रोहिणीम्।
रोहिणीमिव सोमस्‍य वसुदेवस्‍य धीमत:।।5।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः