हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 76 श्लोक 31-35

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 76 श्लोक 31-35

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महादेवेन देवेश संदिष्टोऽस्मि महात्मना।
अन्तर्भूमितलेऽवध्यानसुरान् प्रति मानद।।31।।

तदितो दशरात्रेण हन्ताेहमसुरोत्तसमान्।
तत्रोपविष्टान् स्था‍तव्यं प्रवरेण महात्मना।।32।।

जयन्तेन च वीरेण दानवानां जिघांसया।
एकोऽत्र मानुषो देवो देवपुत्रस्तंथा पर:।।33।।

अवध्या: किल ते देवैर्ब्रह्मणो वरदर्पिता:।
अस्माभि: किल हन्तव्या मानुषत्वपमुपागतै:।।34

तथेति कृष्णं स हरि: प्रीतरूपस्तथाब्रवीत्।
सस्वजाते ततो देवावन्योन्यंर जनमेजय।।35।।
 
इति श्री महाभारते खिलभागे हरिवंशे विष्णुयपर्वणि पारिजातहरणे स्वर्गे पारिजातस्थापने षट्सप्तीतितमोऽध्याय:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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