हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच
अन्धकारीकृते लोके प्रदीप्ते त्र्यम्बके तथा।
न नन्दी नापि च रथो न रुद्र: प्रत्यदृश्यत।।1।।

द्विगुणं दीप्तपदेहस्तु रोषेण च बलेन च।
त्रिपुरान्तकरो बाणं जग्राह स चतुर्मुखम्।।2।।

संदधत् कार्मुकं चैव क्षेप्तुुकामस्त्रिलोचन:।
विज्ञातो वासुदेवेन चित्तमज्ञेन महात्मना।।3।।

जृम्भणं नाम सोऽप्यस्त्रं जग्राह पुरुषोत्तम:।
हरं संजृम्भयामास क्षिप्रकारी महाबल:।।4।।

सशर: सधनुश्चैव हरस्तेनाशु जृम्भित:।
संज्ञां ने लेभे भगवान विजेतासुररक्षसाम्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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