हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 21-25

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वैशम्पायन उवाच
एतत् ते सर्वमाख्यातं मया कुरुकुलोद्वह।
यथा बाणो जित: संख्ये जीवन्मुंक्तपश्च विष्णु ना।।21।।

द्वारकायां तत: कृष्णां रेमे यदुगणैर्वृत:।
अन्वरशासन्माहीं कृत्नां परया संयुतो मुदा।।22।।

एवमेषोऽवतीर्णो वै पृथिवीं पृथिवीपते।
विष्णुऽर्यदुकुलश्रेष्ठो वासुदेवेति विश्रुत:।।23।।

एतैश्च कारणै: श्रीमान् वसुदेवकुले प्रभु:।
जातो वृष्णिषु देवक्यां यन्मां त्वं परिपृच्छसि।।24।।

निवृत्ते नारदप्रश्नें यन्मदयोक्तं समासत:।
श्रुतास्ते विस्त्रा: सर्वे ये पूर्वं जनमेजय।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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