हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 31-35

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 128 श्लोक 31-35

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अनन्तुश्चैव नागानां रुद्राणां शंकर: स्मृतत:।
जंगमाजंगमं चैव जगन्नावरायणोद्भवम्।।31।।

एतस्मांच्चन जगत् सर्वं प्रसूयेत जनार्दनात्।
जगच्चा सर्वं देवेश तं नमस्कदरे भारत।।32।।

पूज्याश्च् सततं सर्वैर्देवैरेष सनातन:।
इत्युाक्तंं बाणयुद्धं ते माहात्यंरेष केशवस्यत तु।।33।।

वंशप्रतिष्ठायमतुलां श्रवणादेव लप्स्यसे।
ये चेदं धारयिष्य‍न्ति बाणयुद्धमनुत्तमम्।।34।।

केशवस्य च माहात्म्यं नाधर्मस्ता्न भजिष्यति।

एषा तु वैष्ण‍वी चर्या मया कार्त्तयेन कीर्तिता।।35।।
पृच्छतस्तात यज्ञेऽस्मिन् निवृत्ते जनमेजय।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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