हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 16-20

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 126 श्लोक 16-20

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सा च क्षिप्ता् तदा तेन ब्रह्मण्येन महात्मना।।16।।

जृम्भमाणेव गगने सम्प्रदीप्तमुखी तदा।
आधावत महाशक्ति: कृष्णस्य वधकांक्षिणी।।17।।

भृशं विषण्ण: शक्रोऽपि सर्वामरगणैर्वृत:।
शक्तिं प्रज्वलितं दृष्ट्वा दग्ध: कृष्णेति चाब्रवीत्।।18।।

तां समीपमनुप्राप्तांं महाशक्तिं महामृधे।
हुंकारेणैव निर्भर्त्स्य पातयामास भूतले।।19।।

पतितायां महाशक्त्यां साधुसाध्विति सर्वश:।
सिंहनादं ततश्चक्रु: सर्वे देवा: सवासवा:।।20।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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