नमोऽस्तु सौम्यरूपाय नमो भैरवरूपिणे ।
विरूपाक्षाय देवाय नम: सौम्येक्षणाय च।।51।।
दक्ष यज्ञ विनाशाय बलेर्नियमनाय च।
नम: पर्वतवासाय नम: सागरवासिने।।52।।
नम: सुररिपुघ्नानय त्रिपुरघ्नाय वै नम:।
नमोऽस्तु: नरकघ्नाय नम: कामांगनाशिने।।53।।
नमस्त्वन्धकनाशाय नम: कैटभनाशिने।
नम: सहस्रहस्ताय नमोऽसंख्येयबाहवे।।54।।
नम: सहस्रशीर्षाय बहुशीर्षाय वै नम:।
दामोदराय देवाय मुंञ्जमेखलिने नम:।।55।।