हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 51-55

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 125 श्लोक 51-55

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नमोऽस्तु सौम्यरूपाय नमो भैरवरूपिणे ।
विरूपाक्षाय देवाय नम: सौम्येक्षणाय च।।51।।

दक्ष यज्ञ विनाशाय बलेर्नियमनाय च।
नम: पर्वतवासाय नम: सागरवासिने।।52।।

नम: सुररिपुघ्नानय त्रिपुरघ्नाय वै नम:।
नमोऽस्तु: नरकघ्नाय नम: कामांगनाशिने।।53।।

नमस्त्वन्ध‍कनाशाय नम: कैटभनाशिने।
नम: सहस्रहस्ताय नमोऽसंख्येयबाहवे।।54।।

नम: सहस्रशीर्षाय बहुशीर्षाय वै नम:।
दामोदराय देवाय मुंञ्जमेखलिने नम:।।55।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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