हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 16-20

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 16-20

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बाणसंरक्षणं कर्तुं रथमास्थाय सुप्रभम्।
देव: कुमारश्च् तथा रथेनाग्निसमेन वै।।16।।

नन्दीश्वरसमायुक्तं रथमास्थाय वीर्यवान्।
संदष्टौष्ठुपुटो रुद्र: प्राधावत यतो हरि:।।17।।

पिबन्निव तदाकाशं सिंहयुक्तो महास्वन:।
रथो भाति घनोन्मुक्त: पौर्णमास्यां यथा शशी।।18।।

ततो गणसहस्रैस्तु नानारूपैर्भयावहै:।
नदद्भिर्विविधान् नादान् रथो देवस्य शोभयन्।।19।।

केचित सिंहमुखास्तात्र तथा व्याघ्रमुखा: परे।
नागाश्वोष्ट्रमुखास्तत्र प्रवेपुरतिपीडिता:।।20।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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