हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 124 श्लोक 21-25

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व्यालयज्ञोपवीताश्च केचित् तत्र महाबला:।
खरोष्ट्रगजवक्त्राश्च अश्वग्रीवाश्च संस्थिता:।।21।।

छागमार्जारवक्त्राश्च मेषवक्त्रास्तथा परे ।
चीरिण: शिखिनश्चान्ये जटिलोर्ध्वशिरोरुहा: ।।22।।
भग्ना: परिपतन्ति स्म शंखदुन्दुरभिनि: स्वनै:।


केचित् सौम्यमुखास्तत्र दिव्यैर: शस्त्रैरलंकृता:।।23।।
नानापुष्पकृतापीडा नानाप्रहरणायुधा:।

वामना विकटाश्चैव सिंहव्याघ्रपरिच्छदा:।।24।।
रुधिराद्रैर्महावक्त्रैर्महादंष्ट्रा बलिप्रिया: ।

देवं सम्परिवार्याथ महाशत्रुप्रमर्दनम्।।25।।
लीलायमानास्तिष्ठन्ति संग्रामाभिमुखोन्मुखा:।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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