हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 31-35

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 122 श्लोक 31-35

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अथापरे महाभागा: स्वैरनीकैर्व्यावस्थिता:।।31।।
पिठर: पतग: स्व र्ण श्वसगाधो भ्राज एव च।
स्वधाकाराश्रया: पंच अयुध्यंस्तेऽपि चाग्नय:।।32।।

ज्योतिष्टोमविभागौ च वषट्काराश्रयौ पुन:।
द्वावग्नी सम्प्रयुध्येते महात्मानौ महाद्युती।।33।।

आग्नेयं रथमास्थाय शरमुद्यम्य भास्वरम्।
तर्यार्मध्येऽंगिराश्चैव महर्षिर्विबभौ रणे।।34।।

स्थितमंगिरसं दृष्ट्वा विमुञ्चन्तं शितांछरान्।
कृष्ण: प्रोवाच संक्रुद्ध: स्मनयन्निव पुन: पुन:।।35।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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