हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 171-175

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 171-175

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मुमोच निशितान बाणांश्छन्नोे मायाधरो बली।
विज्ञायान्तार्हितं बाणं प्राद्युम्निरपराजित:।।171।।
पौरुषेण समायुक्त‍: सम्प्रैक्षत दिशो दश।

आस्थाय तामसीं विद्यां तदा क्रुद्धो बले: सुत:।।172।।
मुमोच विशिखांस्तीाक्ष्णांश्छन्नो मायाधरो बली।

प्राद्युम्निर्विशिखैर्बद्ध: सर्पभूतै: समन्तत:।।173।।
वेष्टितो बहुधा तस्य देह: पन्न‍गराशिभि:।

स तु वेष्टितसर्वांगो बद्ध: प्राद्यम्निराहवे।।174।।
निष्प्रषत्न: कृतस्तस्थौ मैनाक इव पर्वत:।

ज्वालावलीढवदनै: सर्पभोगैर्विचेष्टित:।।175।।
अभित: पर्वताकार: प्राद्युम्निरभवद् रणे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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