हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 101-105

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 119 श्लोक 101-105

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स हन्येमानो नाराचै: परिघेश्च समन्तत:।
दानवै: समभिक्रुद्धै: प्राद्युम्निं शस्त्र कोविदै:।।101।।

नाक्षुभ्यत सर्वभूतात्मा नदन् मेघ इवोष्णगे।
आविध्य परिघं घोरं तेषां मध्ये व्यतिष्ठत।
सूर्यो दिवि चरन् मध्ये् मेघानामिव सर्वश:।।102।।

दण्डकृष्णा जिनधरो नारदो हृष्टमानस:।
साधु साध्विति वै तत्र सोऽनिरुद्धमभाषत।।103।।

ते हन्यमाना रौद्रेण परिघेणामितौजसा।
प्राद्रवन्त भयात् सर्वे मेघा वातेरिता यथा।।104।।

विद्राव्य दानवान् वीर: परिघेण सुविक्रम:।
अनिरुद्धो रणे हृष्टा: सिंहनादं ननाद च।।105।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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