हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 66-70

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 118 श्लोक 66-70

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मनुष्याणां च सर्वेषां ये विशिष्टकतमा नरा:।
तानेतान् पश्य सर्वांस्त्वं यथैव लिखितान् मया।।66।।

यस्ते भर्ता यथारूप: स मया लिखित: सखि।
तं त्वं प्रत्यभिजानीहि स्वप्ने यं दृष्टवत्यसि।।67।।

तत: क्रमेण सर्वांस्तान् दृष्ट्वा सा मत्तकाशिनी।
देवदानवगन्धर्व विद्याधरगणानथ।
अतीत्य च यदून् सर्वान् ददर्श यदुनन्दनम्।।68।।

तत्रानिरुद्धं दृष्ट्वा् सा विस्मायोत्फुल्ललोचना।
उवाच चित्रलेखां तामयं चौर: स वै सखि।।69।।

येनाहं दूषिता पूर्वं स्वरप्ने हर्म्यगता सती।
सोऽयं विज्ञातरूपो मे कुतोऽयं रतितस्क‍र:।।70।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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