हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 117 श्लोक 26-30

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 117 श्लोक 26-30

Prev.png

 

तत: क्रीडाविहारं तमनुभूय सहोमया।
गतेऽहनि तत: सर्वा नार्यस्ता: परमाद्भुता:।।26।।
ययु: स्वानालयान् सर्वा देवी चादर्शनं गता।

काश्चिदश्वैस्तथा यानैर्गजैरन्यास्तथा रथै:।।27।।
पुरं प्रविविशुर्हृष्टा: काश्चिदाकाशमास्थिता:।

तत: प्रभृति सा देवी काममोहं गता विभो।।28।।
देव्यास्तु वचनं स्मृत्वा संस्मरन्ती पति तदा।
निद्रां न भजते रात्रौ न दिवा भोजनं तथा।।29।।

स्मन्ती पतिभावं सा विललाप नृपात्मजा।
निन्दन्ती शशिनं नाके सेवती न च चन्दनम्।।30।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः