हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 21-25

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 103 श्लोक 21-25

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एवमादीनि पुत्राणां सहस्राणि निबोध मे।
दशायुतं समाख्याणता वासुदेवसय ते सुता:।।21।।

अयुतानि तथा चाष्टौ शूरा रणविशारदा:।
जनार्दनस्या प्रसव: कीर्तितोऽयं तथा मया।।22।।

प्रद्युम्नास्य सुतो जज्ञे वैदर्भ्यां राजसत्तौम।
अनिरुद्धो रणेऽद्धो जज्ञे स मृगकेतन:।।23।।

रेवत्यां बलदेवस्य जज्ञाते निशठोल्मुकौ।
भ्रातरौ देवसंकाशावुभौ पुरुषसत्तगमौ।।24।।

सुतनुश्च सुतारा च शौरेरास्तां परिग्रह:।
पौण्ड्रच: कपिलश्चैव वसुदेवस्य तौ सुतौ।।25।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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