हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 99 श्लोक 6-10

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 99 श्लोक 6-10

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बभूवु: परमोपेता वाप्यनश्चु विकचोत्प्ला:।
विश्वाकर्मकृत: शैल: प्राकारस्त्स्यत वेश्मनन:।।6।।

व्यक्तमकिषकुशतोत्सेतध: परिखापरिवेष्टित:।
तद् गृहं वृष्णिसिंहस्य निर्मितं विश्वयकर्मणा।।7।।

महेन्द्र सदृशं वेश्म समन्तािदर्धयोजनम्।
ततस्तं पाण्डुवरं शौरिर्मूर्ध्नि तिष्ठन् गरुत्मत:।।8।।

प्रीत: शंखमुपाध्माषसीद् द्विषतां रोमहर्षणम्।
तस्य शंखस्यु शब्देन सागरश्चुक्षुभे भृशम्।
ररास च नभ: कृत्स्नं तच्चित्रमभवत् तदा।।9।।

पांचजन्यभस्यक निर्घोषं संश्रुत्य कुकुरान्धका:।
विशोका: समपद्यन्त गरुडस्यत च दर्शनात्।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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