हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 96 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 96 श्लोक 11-15

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समागतास्तुा तच्छ्रुरत्वा् यदुमुख्याथ महाबला:।
मन्त्रसयित्वा‍ महात्मावनश्चिन्ताचमापेदिरे तथा।।11।।

वज्रनाभोअद्य हन्तमव्य‍: प्रद्यम्नेिनेत्यासंशयम्।
तयोर्दुहितरो भार्या भक्याव्य ता: सर्वभावना:।।12।।

सर्वा: सगर्भास्ता्श्चै व किं नु कार्यमनन्तेरम्।
प्राप्तह: प्रसवकालश्चम तासां नातिचिरादिव।।13।।

सम्मपन्त्ररयित्वै‍तदर्थं हंसानूचुर्महाबला:।
आख्ये्यमर्थवत् कृत्नंत् शक्रकेशवयोस्तमदा।।14।।

हंसैर्गत्वाो तदाख्यारतं देवयोस्तैद् यथातथम्।
ताभ्यांत हंसास्तुय संदिष्टा् न भेतव्यतमिति प्रभो।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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