हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 94 श्लोक 11-15

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 94 श्लोक 11-15

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गान्‍धर्वेण विवाहेन कुरुष्‍वानुग्रहं मम।
देशकालानुरूपेण रूपेणाप्रतिमा सती।।11।।

उपस्‍पृश्‍य ततो भैमो मणिस्‍थं जातवेदसम्।
जुहाव समये वीर: पुष्‍पैर्मन्‍त्रानुदीरयन्।।12।।

जग्राहाथ करं तस्‍या वराभरणभूषितम्।
चक्रे प्रदक्षिणं चैव तं मणिस्‍थं हुताशनम्।।13।।

प्रजज्‍वाल से तेजस्‍वी मानयन्‍नच्‍युतात्‍मजम्।
भगवांञ्जगत: साक्षी शुभस्‍याथाशुभस्‍य च।।14।।

उद्दिश्‍य दक्षिणां वीरो विप्राणां यदुनन्‍दन:।
उवाच हंसीं द्वारस्‍थां तिष्‍ठावा रक्ष पक्षिणि।।15।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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